
गुर्दे तथा मूत्र में पथरी एक आम रोग है। यह उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में विशेष रूप से पाया जाता है। 10 से 15 प्रतिशत रोगियों में यह रोग कोई लक्षण पैदा नहीं करता।पानी की मात्रा कम होने के कारण मूतखड़ा होता है। शरीर में कैल्सियम जब हजम नहीं होता है और वह छोटे-छोटे टुकड़े में इकट्ठा होता है तो वही मूतखड़ा हो जाता है। मिर्ची ज्यादा खाने से भी मूतखड़ा होता है। जिन लोगों के मूत्र कैल्शियम अधिक मात्रा में बनता है उनको पथरी जल्दी होती है। यह भिन्न-भिन्न प्रकार के छोटे-छोटे क्षारीय तत्व होते हैं जो किन्ही कारणों से मूत्राशय तथा मूत्रनलो से नहीं निकल पाते और धीरे-धीरे एकत्र होकर पथरी का रूप ले लेते हैं। स्टोन की (पथरी) स्थिति में किडनी के पास बहुत अधिक दर्द करेगा। पथरी होने के बाद जब व्यक्ति मूत्र त्याग करता है तब उसे दर्द का अनुभव होता है। ऐसे में मूत्र धीरे- धीरे और रूककर बाहर आता है। यदि यह पथरी की बीमारी लम्बे समय तक रहे तो यह धीरे-धीरे गुर्दे को नष्ट कर देती है ।
यह पथरी रासायनिक रूप से मुख्यतः 3 प्रकार की होती है-
कैल्शियम ऑक्सलेट
कैल्शियम फॉस्फेट
यूरिक ऐसिड
इसमें सबसे ज्यादा जो पथरी पायी जाती है वो कैल्शियम ऑक्सलेट है।
कारण :-
- यह रोग कम शारीरिक श्रम करने वाले वर्ग में अधिक दिखता है।
- मूत्र तन्त्र में लगातार संक्रमण (इन्फैक्शन) रहने के कारण।
- मूत्र मार्ग में होने वाली बाधाओं के कारण।
- पेय पदार्थ अति कम मात्रा में ग्रहण करने के कारण।
लक्षण :-
- पीठ के नीचे की ओर दायें या बांये हल्का सा दर्द या दबाव बना रहता है।
- मूत्र में जलन होना या मूत्र का रंग सफेद होना ।
- मूत्र में रक्त आ जाना।
- पीठ में तीव्र दर्द के साथ बेचैनी होना और उल्टियां होना। ऐसा होना पथरी की मूत्रवाहिनी (यूरेटर) में होने की संभावना व्यक्त करता है।
उपचार :-
- पथरी जिसको भी है वह चूना कभी न खाएं।
- पाखाड़वेद / पथरचट्ट के पत्ते का काढ़ा पियें ।चौलाई अथवा बथुआ के साग को अच्छी तरह धोकर पानी में उबालें और यह उबला हुआ पानी कपड़े से छान लें तथा इसमें कालीमिर्च, जीरा तथा जरा सा सेंधा नमक मिलाकर दिन में कई बार पीयें। कुछ ही सप्ताह में लाभ अवश्य मिलेगा।
- चुकन्दर को बारीक टुकड़ों में काटकर पानी में उबालें और वह पानी हल्का गुनगुना होने के बाद पियें तथा भोजन के साथ खीरा अवश्य खायें।
- सफेद प्याज को कूटकर कपड़े से उसका रस निकालें। सुबह खाली पेट पियें इससे पथरी जल्दी टूट-टूटकर खत्म हो जायेगी ।
- जीरे के पाउडर को शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
- प्रातः काल खाली पेट कच्ची गाजर चबा-चबाकर खाने से पथरी में काफी आराम मिलता है।
- सूखे आँवले का पाउडर बनायें और प्रातः काल खाली पेट मूली पर लगाकर चबा-चबाकर खायें।
- दो चम्मच करेले के रस में सेंधा नमक और जरा सा शहद मिलाकर चाटें । केले के तने का रस पथरी, कान दर्द और अधिक पेशाब को नियंत्रित करता है।
- पत्थर चट्ट / पाखाड़ वेद का काढ़ा बनाकर पियें काढ़ा 15-20 दिन में पथरी बाहर कर देगा।टमाटर, गाजर, पालक, मेथी, दूध ऐसी ही कैल्सियम की कोई भी चीज नहीं खाना चाहिए