
- मनुष्य का दिल शरीर का एक छोटा अंग होता है। जो छाती के बीचो-बीच हड्डियों के बने कवच पसलियों के बीच स्थित होता है। अधिक वसा के कारण हृदयकी धमनियों में अवरोध पैदा हो जाता है जिससे रक्त का आवागमन रूक जाता है और दिल तक रक्त पहुँचने में बाधा उत्पन्न हो जाती है। रक्त का थक्का सा बनने लगता है। यही मनुष्य के लिए प्राणघातक हृदयघात साबित होता है।
कारण :-
- मोटापा बढ़ने या हाई बी. पी. के कारण।
- ज्यादा आराम करने के कारण।
- मधुमेह या लगातार गैस रहने के कारण।
- धूम्रपान करने व शराब पीने के कारण।
- अण्डा, मांस और डेरी प्रोडक्ट के अधिक उपयोग से।
उपचार:-
- हृदय फेल होने की स्थिति में ही यह अपने आप होने वाला बाईपास नहीं होता है। जब हृदयघात आये और एन्जाइना का दर्द बर्दास्त से बाहर हो उस समय होम्योपैथी दवा ACONITE – 200 एक-एक बूंद तीन बार 5-5 मिनट केअन्तर पर जीभ पर डालने से तुरन्त 5 से 6 मिनट के अन्दर आराम मिलेगा।
- अगर हृदय में ब्लाकेज 70 प्रतिशत तक है तो सामान्य स्थिति है। 75 प्रतिशत, 80 प्रतिशत, 85 प्रतिशत होने की स्थिति में यह चिन्ता का विषय है ।
- एन्जियोप्लास्टी – बाल पेन जैसी स्प्रिंग को दवा लपेटकर आर्टरी में डाला जाता है जिसका बिल लाखों में होता है। यह स्प्रिंग डालने के बाद कुछ समय के अन्तराल पर उसके आगे-पिछे फिर से कचरा जमा हो जायेगा ।ब्लाकेज होने की टेन्डेंसी जब तक रक्त में रहेगी तब तक यह स्थिति हर बार आयेगी। एक आर्टरी में 2 से 3 एन्जियों हो पाती हैं इससे ज्यादा नहीं हो पाती हैं।
- इसके बाद बाइपास सर्जरी की स्थिति बनती है। एक दूसरी आर्टरी बनायेगें और पहली वाली को बन्द कर देंगें।टेन्डेन्सी बनने की स्थिति में इससे भी वही स्थिति बन जाती है। ये टेन्डेन्सी बनती है डालडा या रिफाइण्ड तेल खाने से। क्योंकि इससे LDL और VLDL शरीर में बढ़ता है।
- देशी गाय का घी खाने से खराब कोलैस्ट्राल नहीं बनता है।
- तेल जितना गाढ़ा होगा उतना अच्छा होगा तथा दूध जितना पतला होगा उतना अच्छा होगा।
- छिलके वाली दाल और छिलके वाली सब्जियाँ अधिक खाने से केलोस्ट्रोल घटता है।
- खाना बनाते समय फलों और सब्जियों के छिलके कभी न उतारें क्योंकि इसमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक होती है।
- बिना पॉलिस किया हुआ चावल और दाल खाइये।
- रोटी मोटे अनाज की खाएं। जितनामोटा अनाज होगा हृदय रोग की दृष्टि से सबसे अच्छा होगा। मोटे अनाज में मक्का, बाजरा, ज्वार, गेहूँ, चना आदि आटा मोटा हो, छलनी से छानना नहीं चाहिए।
- मेथी दाने को नियमित रूप से काँच के गिलासमें 1 चम्मच 1 गिलास गरम पानी में शाम को डालकर सुबह पानी पीना है।और मेथी दाना चबा-चबाकर खाना है। 3-4 महीने लगातार देना है।
- जामुन की गुठली का पाऊडर + करेले की बीज का पाऊडर + नीम की निम्बोली कापाऊडर पीसकर मिला लें और 1 से डेढ़ चम्मच रोज सुबह शाम खाने से डेढ़घण्टे पहले लें।
- लौकी का रस 1 गिलास में काली मिर्च, पुदीना और हरे धनिये का पता मिलाकर सुबह और शाम तीन महीने तक खाली पेट पियें ।डिब्बा बन्द तेल और रिफाइण्ड तेल कभी न खायें।
- इस बीमारी में लहसुन का प्रयोग सर्वश्रेष्ठ है। खाने में पके रूप में और कच्चेरूप में भी ले सकते हैं।
- अंगूर का रस नियमित लेने से काफी लाभ मिलता है। गुलकंद खाने से भीआराम मिलता है।
- अदरक का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर चाटने से तत्कालआराम मिलेगा।
- हृदयघात के समय ठंडी चीजें कभी भी न दें।