

किये हुये भोजन के न पचने से कच्चा रस इकट्ठा होना आम कहलाता है। यह सिर और शरीर में वेदना उत्पन्न करता है जिससे जोड़ों में दर्द होता है, इसे आम वात या गठिया कहते हैं।
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कारण
विरूद्ध भोजन करने से ।
बहुत ज्यादा आरामदायक जीवन चर्या के कारण। गर्म-सर्द के कारण या यूरिक एसिड के कारण।
अनुवांशिक कारण से या मोटापे के कारण।
मद्यपान और धूम्रपान या अनियमित आहार-विहार के कारण।
(नियमित आहार-विहार के लिए रोगी स्वयं चिकित्सक देखें) लगातार कब्ज रहने के कारण।
लक्षण
जोड़ों में दर्द होता है।
खाने से अरूचि हो जाती है और भूख कम लगती है।
शरीर में भारीपन रहता है या जोड़ों में सूनापन व सूजन रहती है। चलने-फिरने व उठने बैठने में परेशानी होती है।
उपचार
अर्थराइटिस के मरीज 1 दिन में 2 ग्राम चूना खा सकते हैं और स्वस्थ आदमी 1 ग्राम ही चूना खायें, दही के साथ, छाछ के साथ या पानी में मिलाकर ।
मेथी दाना रात को गरम पानी में भिगो दें और सुबह उठते ही पानी पी लें और मेथी दाना चबा-चबा कर खा लें।
अर्थराइटिस के मरीज 1 दिन में 2 ग्राम चूना खा सकते हैं और स्वस्थ आदमी 1 ग्राम ही चूना खायें, दही के साथ, छाछ के साथ या पानी में मिलाकर ।
मेथी दाना रात को गरम पानी में भिगो दें और सुबह उठते ही पानी पी लें और मेथी दाना चबा-चबा कर खा लें।
गाय के दूध में गाय का घी मिलाकर और थोड़ी हड़द मिलाकर हमेशा शाम को देना है।
मेथी + हल्दी + सोंठ बराबर मात्रा में पीसकर पाउडर बना लेना है और 1 चम्मच रोज सुबह खाली पेट कम से कम डेढ़-दो महीने तक लेना है।
सबसे क्षारिय है हार-श्रृंगार का पेड़ या पारिजात के पेड़ के पत्ते, 5 से 7 पत्ते की पत्थर पर पीसकर चटनी बनानी हैं और 1 गिलास पानी में तब-तक उबालना है जब तक कि पानी आधा गिलास न हो जाय, उसके बाद इसे चाय की तरह रोज सुबह खाली पेट कुछभी खाने से 1 घण्टे पहले पीना है 15 से 20 दिन में बीमारी से आराम मिलना शुरू हो जायेगा। दोनों ही अर्थराइटिस (रिम्यूटेड और औस्टीयों) के केस में, 20-20 साल पुराना गठिया का दर्द इससे ठीक होता है। रात को बना लें, सुबह पिला दें, 3 महीने
तक ।
कालेज और Rh फैक्टर की समस्याओं के लिए भी पारिजात के पत्ते का काढ़ा काम में आता है। हिप ज्वाइन्ट्स या नी ज्वाइन्ट्स निकालने की स्थिति आ गयी हो तो आज से यही दवा नियमित रूप से सेवन करें।
आइसक्रीम कभी न खाएं और यदि कभी मजबूरी में खा लिए तो ऊपर से गरम पानी में घी मिलाकर पी लीजिए। इससे आइसक्रीम का दुष्प्रभाव शरीर में कम होगा।
दालचीनी + सोंठ का काढ़ा गुड़ मिलाकर जरूर पियें जिनको भी अर्थराइटिस हो । यही अस्थमा के लोग भी पी सकते हैं। रोज सुबह कुछभी खाने से 1 घण्टे पहले सुबह-सुबह ।
मूगफली और तिल रोज खाएं, खाना खाने के बाद तिल और गुड़ जरूर खाएं, काला तिल मिले तो बहुत अच्छा होगा। खास कर उन लोगों के लिए जो अर्थराइटिस, अस्थमा, मोटापा और हृदयघात जैसे बीमारियों से बचना चाहते हैं । हड्डीयों के किसी भी रोग के लिए चूना खांए ।
एडी का दर्द और कुहनी का दर्द पानी घुट-घुटकर पीने से ठीक हो जायेगा।