
मोतियाबिन्द यह अधिकतर वृद्धावस्था में पाया जाने वाला रोग है। लेकिन आजकल किसी भी उम्र में हो सकता है। मोतियाबिन्द के रोग में आँख के अन्दर का लेंस सफेद हो जाता है जिस कारण वस्तुएं साफ दिखाई नहीं देती या फिर बिल्कुल दिखना बन्द हो जाता है। इस बीमारी में आँखों की पुतली पर सफेदी आती है और रोगी की दृष्टिधुधली पड़ जाती है। कोई भी चीज स्पष्ट नहीं दिखाई देती।
कारण :-
- उचित पौष्टिक आहार की कमी के कारण ।
- वृद्धावस्था में नेत्र लेंस के ऊपर पायी जाने वाली झिल्ली का स्वरूप बदलनेके कारण।
- मधुमेह रोग हो जाने के कारण ।
लक्षण :-
- आँखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो जाती है।
- शुरूआत में दूर की वस्तुएं साफ दिखाई देती हैं और नजदीक की वस्तुएं धुंधली दिखती हैं।
- एक ही वस्तु के कई बिम्ब बनने लगते हैं।
- आँखों के सामने काले रंग का धब्बा सा दिखाई देने लगता है।
उपचार :-
- सुबह-शाम 1 गिलास गाजर का रस पीने से मोतियाबिन्द में लाभ होता है।
- देशी गाय का मूत्र आँखों में डालने से काफी लाभ होता है।
- सुबह-शाम 1 गिलास गाजर का रस पीने से मोतियाबिन्द में लाभ होता है।
- रात में पानी में भिगोई हुई लहसुन की कलियों को प्रातः काल उठकर खायें और पानी पियें मोतियाबिन्द में लाभ होगा।
- शुद्ध शहद आँखों में लगाने से भी मोतियाबिन्द में लाभ होता है।
- सूखा धनिया और सौंफ और देशी शक्कर बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बनायें सुबह-शाम जल से सेवन करें।
- अंकुरित गेहूँ और अंकुरित चना खाने से मोतियाबिन्द में लाभ होता है ।
- सफेद प्याज का रस और शहद 1 अनुपात 2 की मात्रा में गुलाब जल में मिलायें और आँखों में डालने से मोतियाबिन्द दूर होता है।