यह 2-4 वर्ष की आयु से शुरू होकर कई वर्षों तक रहता है।
कारण :-
- मानसिक परेशानियों या आंत की परेशानियों के कारण।
- खून की कमी के कारण या अनुवांशिक कारण से ।
- मूत्राशय की कमजोरी के कारण।
- बच्चों के गलत रहन-सहन के कारण।
- कुछ खराब व बुरी आदतों के कारण।
लक्षण :-
- नींद में मूत्र बूंद-बूंद या धार के रूप में निकलना ।
- बच्चा देर से चलना सीखता है या चिड़चिड़ापन ज्यादा रहता है।
- बच्चा ज्यादा गुस्सा करता है व ज्यादा रोता है या नींद में दाँत किटकिटाता है।
उपचार :-
बच्चे बिस्तर पर पेशाब करते हैं तो खजूर खिलाइए छोटे-छोटे टुकड़े करकेदूध में उबालें और फिर उसे पिला दें रात को सोते समय ।